आशिकों को मौको की कमी कहाँ?
ये मोहब्बत सब रंग-ढंग सीखा देती है।
वो कहती है बकवास करते है हम,
ऐसे इज़हार-ए-इश्क की सजा देती है।
हमारी बातें उबा देती होंगी तुम्हे, मगर,
दिल की लगी कुछ और कहने कहाँ देती है।
चलो दिल्लगी ही कह लो इस को,
खुश हैं, ये कोशिश तुम्हे हँसा तो देती है।
इश्क में कोशिश होती है, फ़िक्र नहीं।
ऐसी लगन है, कामयाबी को धता देती है।
चलती फिरती ग़ज़ल है वो लड़की,
उसकी बातें ही हमे शायर बना देती है।
Awesome Dillagi!
😀 Thanks Nidhi!
Good attempt, lacking terseness of language.
Yes mam. I agree. Trying to get better. 🙂