अनजान है तू, खुद से, मुझ से, इस बहती सड़क से।
कोई दूरी लेकिन मुझे, दिखी नहीं तेरे मेरे बीच।
नज़रे मिली नहीं, पर हटी भी नहीं, जैसे पहरा हो रूह पे।
कोई शिकन लेकिन मुझे, दिखी नहीं तेरे मेरे बीच।
आवाज़ लगाऊं या, आँखों को कहने दू, किस्से तो बहुत हैं।
कोई अनकही लेकिन मुझे, दिखी नहीं तेरे मेरे बीच।
ना बेपरवाह हैं, ना ही बेक़रार हम, बस एक खिचाव सा है।
कोई तड़प लेकिन मुझे, दिखी नहीं तेरे मेरे बीच।
Very Nice , sounds like song to my ear 🙂
Haha.. I tried to keep it rhythmic. 😀