तेरी आँखें

शोर मचाती है तेरी आँखें,
होंठो से बोल, जो बात है |

ना जाने क्या समझाती हैं ये आँखें,
कुछ तो है, कोई तो बात है |

मत बोल की ये तेरे जज़्बात नहीं,
देखा है मैंने, एक बेकाबू तूफान है |

टूट जा, बिखर जा, खोल दे दिल,
भीगने को नहीं, हम डूबने को तैयार हैं |

आँखों से गर बोल पाता मैं भी,
कह देता वो, जो दिल में छुपा रखा है |

सुनाता तुझे वो लम्हें, वो घड़ियाँ,
जब तू ना थी, फिर भी लगता था मेरे पास है |

बयान करता तुझे मेरी हक़ीकत,
जहाँ तू, ज़िंदगी, मौत और एहसास है |

8 thoughts on “तेरी आँखें”

  1. Superb.. man!!! … Loved it.. Cant believe you can write poetry too!! Loved the last verse alot… Keep it up.. 🙂

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